कितनी ही बार दयानिधि ने -2 संसार को
आ के उबार लिया
जब जब धरती पर धरम घटा तब तब प्रभु
ने अवतार लिया
करो हरी दर्शन, हरी दर्शन, करो हरी
दर्शन, करो...... हरी दर्शन
ये कहानी भयंकर काल की है, प्राचीन
करोड़ों साल की है
शंखासुर नाम का था दानव, उससे डरते
थे सुर मानव
राक्षस था बड़ा विकट बल में, वेदों को
चुरा के घुसा जल में
फिर प्रभु ने मत्स्य रूप धारा, पापी शंखासुर को मारा-2
ये अमृत मंथन की है कथा, सुर
असुरों ने सागर को मथा-2
डूबने लगा पर्वत जल में, खलबली मची
भू मंडल में
तब हरि ने कुर्म अवतार लिया, मंदराचल
पीठ पे धार लिया
हरि की लीला है अजब लोगों, देखो अब दृष्य
गजब लोगों
ओ धन्वन्तरी जन्मे समन्दर से, अमृत
ले आये वो अंदर से
अमृत के लिए दानव झगड़े, पर प्रभु
निकले सब से तगड़े
तब प्रभू बने सुन्दर नारी, मोहिनी
नाम की सुकुमारी
जब मटक मटक मोहिनि डोली, दैत्यों की
बंद हुई बोली
असुरों का आसन हिला दिया, देवों को
अमृत पिला दिया
फिर प्रभु का पृथु अवतार हुआ, उनसे
धरती का सुधार हुआ
सब नियम धरम को ठीक किया, जन जन
का मन निर्भीक किया-2
अब सुनो भक्त ध्रुव की गाथा, भगवन को
झुका लो सब माथा
जब ध्रुव ने हरि दरशन पाये, तब उसके
लोचन भर आये
एक बाल भगत ने निराकार नारायण को
साकार किया
जब जब धरती पर धरम घटा, तब तब प्रभु
ने अवतार लिया
करो हरी दर्शन, हरी दर्शन, करो हरी
दर्शन, करो...... हरी दर्शन
ओ...
जब ग्राह ने गज को पकड़ लिया, उसके
पैरों को जकड़ लिया
तब चक्रपाणि पैदल दौड़े, आ कर उसके
बंधन तोड़े
और चक्र से ग्राह को संहारा, पल में
गजराज को उद्धारा
फिर प्रकट हुए नर नारायण, थे महा
तपस्वी जग तारन
उर्वशी भी देख विरक्त हुई अप्सरा भी
हरि की भगत हुई
तब काम भी रस्ता नाप गया और क्रोध
भी मन में काँप गया-2
हयग्रीव तपस्या करता था होने को अमर
वो मरता था
तब महामाया साकार हुई वर देने को
तैयार हुई
दानव ने वचन ये उच्चारे केवल हयग्रीव
मुझे मारे
हय शीश रूप हरि ने धारा और पापी
राक्षस को मारा-2
फिर हंस रूप में हरि प्रगटे कल्याण
हेतु श्री हरि प्रगटे
भगवान ने सब को शिक्षा दी... पावन भक्ती
की दीक्षा दी...
फिर जग में यज्ञ भगवन आये पृथ्वी पर
परिवर्तन लाये
सब देव हवन से पुष्ट हुए प्राणी
समस्त संतुष्ट हुए
फिर प्रभु कपिल अवतार बने सृष्टि के तारनहार
बने
अपनी माता को ज्ञान दिया जनता को सांख्य
प्रदान किया-2
फिर सनकादिक अवतार हुए वास्तव में
बालक चार हुए
मत सोचो वो केवल बालक थे बड़े धरम करम
के पालक थे
जय विजय को देकर श्राप बाल भगवान ने
जग को तार दिया
जब जब धरती पर धरम घटा, तब तब प्रभु
ने अवतार लिया
करो हरी दर्शन, हरी दर्शन, करो हरी
दर्शन, करो...... हरी दर्शन
एक भक्त की भक्ती ने देखो पृथ्वी पर स्वर्ग
उतार लिया
भगवान् वही करते हैं यहाँ जो मन में उन्होंने
धार लिया
कितनी ही बार दयानिधि ने-2 संसार को आके
उबार लिया
जब जब धरती पर धरम घटा तब तब प्रभु
ने अवतार लिया
करो हरी दर्शन, हरी दर्शन, करो हरी
दर्शन, करो...... हरी दर्शन
अब इक लीला बाकी देखो प्रभु वामन की झांकी
देखो
बामन ने बली की परीक्षा ली भगवन होकर
भी भिक्षा ली
फिर दत्तात्रेय अवतार हुआ सारे जग का
उद्धार हुआ
माता अनुसूया धन्य हुई-2 सतियों
में सती अनन्य हुई -2
जब जग में पाप प्रचण्ड बढ़ा अन्याय
बढ़ा पाखण्ड बढ़ा
तब करने को लीला ललाम प्रगटे पृथ्वी
पर परशुराम, प्रभु परशुराम
इक्कीस बार क्षत्रिय मारे कर दिये
नष्ट पापी सारे
फिर त्रेता में प्रभु राम हुए उनके
द्वारा कई काम हुए
हनुमान उनपे आसक्त हुए रघुपति के
अनुपम भक्त हुए
सीता अपमान का बदला राम ने जाकर
सागर पार लिया-2
जब जब धरती पर धरम घटा तब तब प्रभु
ने अवतार लिया
करो हरी दर्शन, हरी दर्शन, करो हरी
दर्शन, करो...... हरी दर्शन
फिर रिषभ देव अवतार हुए ये मुक्ति के
आधार हुए
इनको तुम तीर्थंकर जानो त्रिभुवन के
मंगलकर मानो
फिर द्वापर में नंदलाला जन्मे बस गए
वो जन जन के मन में
दुनिया को इन्ही ने दी गीता और कर्म
योग से जग जीता
फिर जग में वेद व्यास आये भण्डार
ज्ञान का मुनिवर लाये
महाभारत और भागवत रची जन साधारण
को बहुत जंची-2
फिर शुद्ध बुद्ध अवतार हुआ दर्शन से
मुग्ध संसार हुआ
वो शान्ति दूत बनकर आये और मन्त्र
अहिंसा का लाये
अब अंत में कल्कि जन्मेंगे-2
दुष्टों से वो बदला लेंगे-2
कलयुग बदलेगा सतयुग में संसार जियेगा
नवयुग में
मानव के लिए निज माथे पे हर युग
में हरी ने भार लिया -2
जब जब धरती पर धरम घटा तब तब प्रभु
ने अवतार लिया
करो हरी दर्शन, हरी दर्शन, करो हरी
दर्शन, करो...... हरी दर्शन -3