Wednesday, May 1, 2024

काशी स्तुति कशी महिमा - तुलसीदास Kashi Stuti Kashi Mahima Tulasidas


काशी स्तुति- तुलसीदास ’विनय पत्रिका’

सेइअ सहित सनेह देह भरि कामधेनु कलि कासी |

समनि सोक-संताप-पाप-रुज, सकल सुमंगल रासी ||१||

 

मरजादा चहुँओर चरनबर, सेवत सुरपुर-बासी |

तीरथ सब सुभ अंग रोम सिवलिंग अमित अबिनासी ||२||

 

अंतरऐन ऐन भल, थन फल, बच्छ बेद-बिस्वासी |

गल कंबल  बरुना बिभाति जनु, लूम लसति, सरिता-सी ||३||

 

दंडपानि भैरव बिषान, मलरुचि-खलगन- भयदा-सी |

लोलदिनेस त्रिलोचन लोचन, करनघंट घंटा-सी ||४||

 

मनिकर्निका बदन- ससि सुंदर, सुरसरि-सुख सुखमा- सी |

स्वारथ परमारथ परिपूरन, पंचकोसि महिमा –सी ||५||

 

विस्वनाथ पालक कृपालुचित, लालति नित गिरिजा-सी |

सिद्धि सची, सारद पूजहिं मन जोगवति रहति रमा-सी ||६||

 

पंचाच्छरी प्रान, मुद माधव, गब्य सुपंचनदा-सी |

ब्रह्म-जीव-सम रामनाम जुग, आखर बिस्व बिकासी ||७||

 

चारितु चरति करम कुकरम करि, मरत जीवगन घासी |

लहत परमपद पय पावन,  जेहि चहत प्रपंच-उदासी ||८||

 

कहत पुरान रची केशव निज कर-करतूति कला-सी |

तुलसी बसि हरपुरी राम जपु, जो भयो चहै सुपासी ||९||


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