Wednesday, December 21, 2016
Sunday, December 11, 2016
Mangal bhawan amangal haari मंगल भवन अमंगल हारी भजन सरगम
Monday, November 28, 2016
Hanuman Chalisa हनुमान चालीसा - गायक उदित नारायण
Hanuman Chalisa lyrics and notes of singer Udit Narayan हनुमान चालीसा - गायक उदित नारायण
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हनुमान चालीसा – गायक उदित नारायण
दोहा
श्री गुरु चरण सरोज रज , निज मन मुकुर सुधारि |
बरनउ रघुबर बिमल जसु , जो दा-यक फल चारि ||
बुधिहीन तनु जानिके , सुमिरौं पवन कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहे , हरहु कलेस विकार ||
चोपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर | जय कपीस तिहूँ लोक उजागर ||१||
राम दूत अतुलित बल धामा | अंजनी पुत्र पवन सुत नामा ||२||
श्री गुरु चरण सरोज रज , निज मन मुकुर सुधारि |
बरनउ रघुबर बिमल जसु , जो दा-यक फल चारि ||
बुधिहीन तनु जानिके , सुमिरौं पवन कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहे , हरहु कलेस विकार ||
चोपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर | जय कपीस तिहूँ लोक उजागर ||१||
राम दूत अतुलित बल धामा | अंजनी पुत्र पवन सुत नामा ||२||
महाबीर विक्रम बजरंगी| कुमति निवार सुमति के संगी ||३||
कंचन बरन बिराज सुबेसा | कानन कुंडल कुंचित केसा ||४||
कंचन बरन बिराज सुबेसा | कानन कुंडल कुंचित केसा ||४||
हाथ वज्र औ ध्वजा
बिराजे | काँधे मूंज जनेऊ सा-जे ||५||
संकर सुवन केसरी नंदन | तेज प्रताप महा जग वंदन||६||
बिद्यावान गुनी अति चातुर ।राम काज करिबे को आतुर ॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।बिकट रूप धरि लङ्क जरावा ॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥
लाय संजीवन लखन जियाये ।श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥
रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई ।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥
संकर सुवन केसरी नंदन | तेज प्रताप महा जग वंदन||६||
बिद्यावान गुनी अति चातुर ।राम काज करिबे को आतुर ॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।बिकट रूप धरि लङ्क जरावा ॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥
लाय संजीवन लखन जियाये ।श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥
रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई ।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥
सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।अस कहि
श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥
तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना ।लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥१७॥
जुग सहस्र जोजन पर भानु ।लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।सुगम अनुग्रह तुह्मरे तेते ॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे ।होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥
सब सुख लहै तुह्मारी सरना ।तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥
तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना ।लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥१७॥
जुग सहस्र जोजन पर भानु ।लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।सुगम अनुग्रह तुह्मरे तेते ॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे ।होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥
सब सुख लहै तुह्मारी सरना ।तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥
आपन तेज संभारो आपै ।तीनों लोक हाँकतें
काँपै ॥२३॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥
नासै रोग हरै सब पीरा ।जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥
संकट ते हनुमान छुड़ावै ।मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा ।तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै ।सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥
चारों जुग परताप तुह्मारा ।है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥
साधु सन्त के तुम रखवारे ।असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥
नासै रोग हरै सब पीरा ।जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥
संकट ते हनुमान छुड़ावै ।मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा ।तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै ।सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥
चारों जुग परताप तुह्मारा ।है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥
साधु सन्त के तुम रखवारे ।असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।अस वर दीन
जानकी माता ॥३१॥
राम रसायन तुह्मरे पासा ।सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥
तुह्मरे भजन राम को पावै ।जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥
अन्त काल रघुबर पुर जाई ।जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥
और देवता चित्त न धरई ।हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा ।जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं ।कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई ।छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥
॥दोहा॥
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥
राम रसायन तुह्मरे पासा ।सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥
तुह्मरे भजन राम को पावै ।जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥
अन्त काल रघुबर पुर जाई ।जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥
और देवता चित्त न धरई ।हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा ।जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं ।कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई ।छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥
॥दोहा॥
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥
Sunday, November 20, 2016
Bhaj Govindam by Shankaracharya भज गोविन्दम - शंकराचार्य
Bhaj Govindam by Shankaracharya lyrics and notes sargam swarlipi raag Kalyan भज गोविन्दम - शंकराचार्य
Worship Govinda, worship Govinda, worship Govinda, Oh fool !
Rules of grammar will not save you at the time of your death.
Oh fool ! Give up your thirst to amass wealth, devote your
mind to thoughts to the Real. Be content with what comes
through actions already performed in the past.
Do not get drowned in delusion by going wild with passions and
lust by seeing a woman’s navel and breast. These are nothing but
a modification of flesh. Fail not to remember this again and
again in your mind.
The life of a person is as uncertain as rain drops trembling on a
lotus leaf. Know that the whole world remains a prey to
disease, ego and grief.
- full lines of the bhajan can be found with meaning at
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Bhaj Govindam- Shankaracharya lyrics notes |
- full lines of the bhajan can be found with meaning at
http://sanskritdocuments.org/doc_vishhnu/bhajagovindam.pdf
http://sanskritdocuments.org/doc_vishhnu/bhajagovindam.html?lang=sa
http://srikrishnaradha.com/bhaja-govindam/
जीवन तारना है तो भज गोविन्दम
Sunday, November 6, 2016
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