1. तेरे दरबार में मैया खुशी मिलती है
गीतकार: ताल: कहरवा |
गायक: लखबीर सिंह ‘लक्खा’ कोर्ड: सागप
सा=C# |
विडियो लिंक: https://www.youtube.com/watch?v=JyV8ICsTt1U
(तर्ज़: जाने
क्यों लोग मोहब्बत किया करते हैं.)
तेरी छाया में, तेरे चरणों में, मगन
हो बैठूँ, तेरे भक्तों में
तेरे दरबार में मैया खुशी मिलती है-2
जिंदगी मिलती है रोतों को हँसी मिलती है
तेरे दरबार में
इक अजब सी मस्ती, तन मन पे छाती है-2
हर इक जुबां तेरे, ओ मैया गीत गाती है
बजते सितारों से, मीठी पुकारों से-2
गूँजे जहाँ सारा तेरे ऊँचे जयकारों से
मस्ती में झूमे, तेरा दर चूमे
तेरे चारों तरफ, दुनिया ये घूमे
ऐसी मस्ती भी भला क्या, कहीं मिलती है-2
जिंदगी मिलती है रोतों को हँसी मिलती है
तेरे दरबार में
मेरी शेरों वाली माँ, तेरी हर बात अच्छी है-2
करनी की पूरी है, माता मेरी सच्ची है
सुख-दुख बँटाती है, अपना बनाती है-2
मुश्किल में हों बच्चे तो माँ ही काम आती है
रक्षा करती है, भक्त अपने की
बात सच्ची करती, उनके सपनों की
सारी दुनिया की दौलत यहीं मिलती है
जिंदगी मिलती है रोतों को हँसी मिलती है
तेरे दरबार में
रोता हुआ आये जो, हँसता हुआ जाता है-2
मन की मुरादों को वो पाता हुआ जाता है
किस्मत के मारों को, रोगी बीमारों को-2
करदे भला चंगा मेरी माँ अपने दुलारों को
पाप कट जाये, चरण छूने से
महकती है दुनिया, माँ के छूने से
फिर तो माँ ऐसी कभी क्या कहीं मिलती है-2
जिंदगी मिलती है रोतों को हँसी मिलती है
तेरे दरबार में मैया खुशी मिलती है -6
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